Tuesday 7 May 2019

मुर्गी पालन
मुर्गीपालन ब्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है जो आपकी आय का अतिरिक्त साधन बन सकता है। बहुत कम लागत से शुरू होने वाला यह व्यवसाय लाखों-करोड़ों का मुनाफा दे सकता है। इसमें शैक्षणिक योग्यता और पूंजी से अधिक   अनुभव और मेहनत की दरकार होती है। आज के समय में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे में युवा मुर्गीपालन को रोजगार का माध्यम बना सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर पर मुर्गी पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है साथ ही मुर्गी का मल (विष्ठा) का उपयोग बटन मशरूम उत्पादन हेतु कम्पोस्ट बनाने तथा खाद के रूप में खेतो में प्रयोग से फसल की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है।
मांस और अंडे की उपलब्धता के लिए मुर्गी और बतख को पालने के व्यवसाय को मुर्गीपालन कहा जाता है। खाद्यान्नों की बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय को चार चांद लगाए हैं।


इस व्यवसाय में मुख्य रूप से तीन प्रकार का धंधा हो सकता है
क) अंडा और मांस उत्पादन के लिए मुर्गीपालन
ख) चूजा उत्पादन।
ग) पौष्टिक आहार मिश्रण तैयार करना तथा आहार, चूजा अंडा, मांस एवं मुर्गी खाद का क्रय विक्रय।

मुर्गी फार्म खोलने कें लिए आवश्यक वस्तूएं
अधिक अंडा उत्पादन के लिए हमारे देश या विदेश में सबसे अच्छे नस्ल की सफेद मुर्गी होती है जिसे “व्हाइट लेग हार्न” कहते हैं। मांस उत्पादन के लिए कोरनिस, न्यूहेपशायर, असील, चटगाँव आदि नस्लें हैं। मुर्गीपालन के लिए हमेशा ऐसी मूर्गियां पाली जानी चाहिए और बड़े अंडे देने वाली हों। अच्छी मुर्गी का चुनाव करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए। अच्छी मुर्गी के सिर चौड़े अता विस्तृत होते हैं, सकरे या गोलाकार नहीं। कलंगी लाल और चमकदार होती है। पेट बड़ा होता है तथा त्वचा कोमल लचीली होती हैं। जघनास्थी चौड़ा तथा योनिमूख अंडाकार होता है।
क) मुर्गीपालन घर
ख) दाना, पानी देने के लिए बर्तन
ग) ब्रूडर
घ) उन्नत नस्ल के चूजे या बड़ी मुर्गियाँ
ङ) रोगों से बचाव के लिए टीका औषधि तथा दवा
च) अंडा देने का बक्सा
छ) रोशनी या बिजली का प्रबंध
ज) हाट-बाजार जहाँ व्यापार किया जायेगा
झ) आमदनी – खर्च का हिसाब- किताब
उन्नत नस्ल की मुर्गियाँ साल भर में लगभग 250-300 अंडे देती हैं जबकि देशी मुर्गियाँ केवल 50-60 अंडे। इन मुर्गियों को साल भर अंडा देने के बाद बेच देना चाहिए क्योकि इनकी अंडा देने की क्षमता घट जाती है तथा दाना खिलाने में लाभ के वनस्पति अधिक खर्च बैठता है। मुर्गीपालन में आहार पर 65-70 प्रतिशत खर्च बैठता है। इसलिए कमजोर तथा कम अंडा देने वाली मुर्गियाँ की बराबर छटाई करते रहना चाहिए।

चूजों का पालन पोषण
छोटे चूजों की बढ़ोतरी के लिए उचित मात्रा में गर्मी का इंतजाम किया जाना चाहिए। अगर चूजे के घर के बाहर का वातावरण काफी ठंडा हो तो चूजे के घर के अंदर ऊँचे स्थान पर किसी बर्तन में आग जलाकर घर को गर्म रखा जा सकता है। जहाँ बिजली की आपूर्ति हो वहाँ बिजली चूल्हे या लैम्प जलाकर काम किया लिया जा सकता है। चूजों को किसी कमरे में तीन इंच गहरे लकड़ी के बुरादे, धान के छिलके, पुवाल की कुट्टी या भूसी जिन्हें लीटर कहते हैं, पर रखकर पालते हैं।

मुर्गियों की कुछ जातियाँ तथा उनका चुनाव
मुर्गियों की भिन्न- भिन्न जातियों में से मुर्गीपालन व्यवसाय को ध्यान में रखकर इनमें से चुनाव करना चाहिए –
क)  अधिक अंडा देने वाली – व्हाइट लेग हार्न, मिनार्का आदि।
ख) विपुल मांस देले वाली- असील, कार्निस, व्हाइट राक।
ग) मांस और अंडा दोनों के लिए- रोड आइलैंड रेड, अस्ट्रालार्प इत्यादि।

मुर्गी घर
घर बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

1. घर ऊँची सतह पर बनाए।
2. अधिक धुप, ठंढक तथा वर्षा से मुर्गियों का बचाव होना चाहिए।
3. घर को छरने के लिए एस्बेस्टस या घास फूस, पुवाल या ताड के पत्ते या खपड़ा का प्रयोग करना चाहिए।
4. मुर्गी घर का फर्श बाहर की जमीन से 10 इंच ऊँचा होना चाहिए तथा संभव हो तो पक्का बनाना चाहिए जिससे चूहा, सांप आदी बिल  न बना सके।
5. मुर्गी घर की दिवार मजबूत, आंशिक रूप से खुली तथा तीन ओर से बंद रहे कि हवा के आने जाने की पूरी गूंजाइश रहे।

मुर्गियों के लिए सन्तुलित आहार
मुर्गियों के स्वास्थ एवं उत्पादन क्षमता बनाये रखने के लिए पानी, शर्करा, चिकनाई, प्रोटीन, खनिज पदार्थ तथा विटामिन आवश्यक है। जिस आहार पर पलने वाली मुर्गियाँ अधिक स्वस्थ रहें, उनकी बढ़ोतरी अच्छी हो और वे अंडा अधिक दें उसे सन्तुलित आहार कहा जाता है। मूर्गिपालक आहार का मिश्रण स्वयं घर में तैयार कर सकते हैं मगर कठिनाई होने से वे बाजार से तैयार मिश्रण खरीद कर अपनी मुर्गियों को खिला सकते हैं। चूजों को पहली खुराक अंडे से निकलने के 48 घंटे बाद दी जाती है। चूजों के लिए साफ पानी का प्रबंध हमेशा रहना चाहिए।

मुर्गीपालन का व्यवसाय शुरू करने से पहले मुर्गीपालकों को निम्नलिखित कुछ बातों को ध्यान रखना आवश्यक हैं-
1. पशुपालन विभाग द्वारा मुर्गीपालकों को दी जाने वाली सुविधाओं को अवश्य लाभ उठावें।
2. बिजली एवं स्वच्छ पानी का प्रबंध मुर्गी फार्म में अवश्य होना चाहिए।
3. ज्यादा अंडा देने वाली मुर्गियों, अंडा या एक दिन का चेंगना खरीद कर यह व्यवसाय शुरू  किया जा सकता है। हमेशा अधिक अंडा देने वाली उत्तम नस्ल की मुर्गियों का ही चुनाव करें। सरकारी मुर्गी फार्म से आप जब भी अंडा देने वाली मुर्गियाँ खरीदें तो यह अवश्य देख लें कि उन्हें रानिक खेत और चेचक का टीका लगा चुका हो।
4. 8-10 मुर्गियों के लिए एक ही मुर्गा रखना पर्याप्त है और यदि निर्जीव अंडा पड़ा करना है तो मुर्गा रखने की जरूरत नहीं है।
5. मुर्गी का घर ऊँची जगह पर होना चाहिए ताकि जमीन में नमी न रहे, चूंकि नमी से बीमारी फैलती है।
6. बिजली को पालने में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है चूजों के एक – डेढ़ महीने तक पंख नहीं निकलते इसलिए पंख निकलने तक उन्हें दुसरे तरीकों से गर्म रखना चाहिए।
7.व्यवसाय शुरू करने से पहले मुर्गी के घर. उपकरण एवं चारा दाना का प्रबंध कर लेना चाहिए।
8. मुर्गियों के लिए आरामदायक तथा हवादार दड़बा बनाना चाहिए। हवादार बनाने के लिए दड़बे के चारों ओर तार की जाली लगा दें। दड़बे में 55 से 75 डिग्री फारेनहाइट का बीच तापक्रम रहने से मुर्गियों को पूरा आराम मिलता है।
9. मुर्गियों को डीप लिटर पद्धति में रखने से समय तथा जगह की बचत होती है तथा मेहनत भी कम पड़ता है। लीटर को खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
10 मूर्गियों को हमेशा संतूलित आहार देना चाहिए। एक बड़ी मुर्गी 24 घंटे में लगभग 4 औंस दाना खाती है। मुर्गियों को हमेशा स्वच्छ पानी मिलना चाहिए।
11. हमेशा यद् रखें कि मुर्गियों में शुरू से ही रोग निरोधक उपायों का अमल करना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद होता है। मुर्गियों को रानीखेत तथा चेचक का टीका अवश्य लगवाएं। चूजों के आहार में खुनी दस्त की बीमारी से बचाव हेतु दवा अवश्य मिलाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कृमि के लिए हर एक दो माह में कृमिनाशक दवाइयां देना चाहिए ।
12. अंडा एवं मुर्गा बेचने के लिए शहर के नजदीक यह व्यवसाय शुरू करना चाहिए जिससे इनकी खपत आसानी से हो सके तथा बाजार तक अंडा, मुर्गा ले जाने में सुविधा रहे।
13.व्यवसाय पहले अनुभव के लिए छोटे रूप में प्रारंभ करना चाहिए. फिर धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
14. मुर्गीपालन व्यवसाय शुरू करने से पहले इसमें होने वाले आय-व्यव की रूप रेखा अवश्य बना लें और आय-व्यय का पूरा हिसाब रखें।

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