Tuesday 7 May 2019

बादाम की खेती
बादाम (अंग्रेज़ी:ऑल्मंड, वैज्ञानिक नाम: प्रूनुस डल्शिस, प्रूनुस अमाइग्डैलस)| बादाम को अपने देश में कई जगहों पर Almond, badam, इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। भारत में यह कश्मीर का राज्य पेड़ माना जाता है। एक आउंस (२८ ग्राम) बादाम में १६० कैलोरी होती हैं, इसीलिये यह शरीर को उर्जा प्रदान करता है। लेकिन बहुत अधिक खाने पर मोटापा भी दे सकता है। इसमें निहित कुल कैलोरी का ¾ भाग वसा से मिलता है, शेष कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन से मिलता है। इसका ग्लाईसेमिक लोड शून्य होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट बहुत कम होता है। इस कारण से बादाम से बना केक या बिस्कुट, आदि मधुमेह के रोगी भी ले सकते हैं। बादाम में वसा तीन प्रकार की होती है: एकल असंतृप्त वसीय अम्ल और बहु असंतृप्त वसीय अम्ल। यह लाभदायक वसा होती है, जो शरीर में कोलेस्टेरोल को कम करता है और हृदय रोगों की आशंका भी कम करता है। इसके अलावा दूसरा प्रकार है ओमेगा – ३ वसीय अम्ल। ये भी स्वास्थवर्धक होता है। इसमें संतृप्त वसीय अम्ल बहुत कम और कोलेस्टेरोल नहीं होता है। फाईबर या आहारीय रेशा, यह पाचन में सहायक होता है और हृदय रोगों से बचने में भी सहायक रहता है, तथा पेट को अधिक देर तक कर रखता है। इस कारण कब्ज के रोगियों के लिये लाभदायक रहता है। बादाम में सोडियम नहीं होने से उच्च रक्तचाप रोगियों के लिये भी लाभदायक रहता है। इनके अलावा पोटैशियम, विटामिन ई, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस भी होते हैं।  बादाम के पेड़ के फल का बीज होता है। बादाम का पेड़ एक मध्यम आकार का पेड़ होता है और जिसमें गुलाबी और सफेद रंग के सुगंधित फूल लगते हैं। ये पेड़ पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके तने मोटे होते हैं। इसके पत्ते लम्बे, चौड़े और मुलायम होते हैं। इसके फल के अन्दर की मिंगी को बादाम कहते हैं।

बादाम उगाने वाले क्षेत्र
इसकी खेती मुख्य रूप से ठन्डे पर्वती क्षेत्रों में की जाती है, अधिकांश मात्रा में जम्मू और कश्मीर अथवा हिमाचल प्रदेश  और उत्तराखंड जैसे ठन्डे क्षेत्रों और चीन की सिमा से लगे तिब्बत एबं , लाहौर किन्नौर जिले आदि में की जाती है

जलवायु और सिंचाई निराई गुड़ाई
जहाँ पानी की सुविधा हो, वहाँ आवश्यक्ता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए|  थालो को खरपतबार से मुफ्त रखना चाहिए तथा मार्च - अप्रैल माह में प्रत्येक थाले में १० सेंटी मिटेर पबर बिछा देना चाहिए | बर्षा के मौसम में  थालो की गुड़ाई करके अच्छी तरह मिट्टी में मिला देना चाहिए | इसके बाद दूसरी गुड़ाई शीत ऋतू में करनी चाहिए |

बादाम की रोपण की दुरी एबं बिधि
बादाम के पौधे को 5 मीटर पौधे से पौधे की दुरी पर लगाना चाहिए | पौधे को लगाने , गढ़ा खोदने एबं भरने की बिधि सेब के समान करे

उर्वरक की जानकारी
बादाम के लिए १० की. ग्रा. गोबर , ३० ग्रा. नाइट्रोजन , २० ग्रा. फॉस्फोरस, २० ग्रा. पोटाष प्रति वृक्ष आयु के अनुसार हर वर्ष देना चाहिए | गोबर की खाद , नईट्रोज़न का प्रयोग फल तोड़ने के पश्चात अगस्त - सिप्टेम्बर माह में करना चाहिए |
बादाम के प्रकार
बाजार में बादाम के कई किस्मो पायी जाती है जिसमे मामरा , केलिफोर्निया या अमरीकन बादाम तथा छोटी गिरी मुख्य है | मीठी बादाम ही खाने में काम आती है | कड़बी बादाम का तेल निकाला जाता है

बादाम की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता
यह शरीर को उर्जा प्रदान करता है, इसमें निहित कुल कैलोरी का ¾ भाग वसा से मिलता है, शेष कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन से मिलता है।

बादाम का फसल चक्र
3-4 साल

गाद निकलना
यह सूछ्म पोषक तत्बो की कमी से तथा जिबनु डरा होता है बोरेक्स ०. ०४ % का छिड़काब अप्रैल मई तथा जून में करे |  जिबनु गमोसिस के लिए वलाइटाक्स 50 के 0. 25 % घोल के तीन बार छिड़काब 15 दिन के अंदर करनी चाहिए |

Note
 1 बादाम के पौधे की कटाई छटाई हलकी करनी चाहिए तथा कटे भाग पर चौबटिया पेस्ट का लेप लगाना चाहिए
2 परागकारक किस्मो के 20 % पौधे लगाने चाहिए
3 किस्मो के चुनाब में साबधानी बरतनी चाहिए
4 रोग तथा किट से बचाब करे
5 पलवार का प्रयोग करें

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