Tuesday 7 May 2019

बेबी कॉर्न ,मक्के का अनिषेचित भुट्टा है जिसे सिल्क निकलते ही तोड़ लिया जाता है इस अवस्था में दाने अनिषेचित (अनफर्टिलाइज्ड ) होते हैं | अच्छे  बेबी कॉर्न की लम्बाई  6-10 से॰ मी॰‚  व्यास 1-1.5 से॰ मी॰  तथा रंग हल्का पीला होना चाहिये | यह फसल खरीफ (गर्मी) में लगभग 50-60 दिनों‚ रबी (जाड़ा) में 110-120  दिनों‚ तथा जायद (वसंत) में 70-80 दिनों में तैयार हो जाती है | एक वर्ष में  बेबी कॉर्न की 3-4 फसलें  आसानी से ली जा सकती हैं |

बेबी कॉर्न मक्का का पौष्टिक महत्व
बेबी कॉर्न एक स्वादिष्ट पौष्टिक आहार है तथा पत्तों में लिपटे रहने के कारण कीटनाशक रसायनों के प्रभाव से लगभग मुक्त होती है | इसमें फास्फोरस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है | इसके अलावा इसमें कार्बोहाईड्रेट्स, प्रोटीन, कैल्सियम, लोहा व विटामिन भी पाई जाती है | पाचन (डाइजेशन) के दृष्टि से भी यह एक अच्छा आहार है

प्रजातियों का चयन ( Baby corn varieties )
अन्य अवधि में पकने वाली एकल क्रॉस प्रजातियाँ उत्तम होती है :
१. एच एम.-4 2005
२. बी. एल.-42 1988
३. प्रकाश 1997
४. पूसा अगेती संकर मक्का-3 2001
५.  पूसा अगेती संकर मक्का-5 2004
६. विवेक संकर मक्का -9 2001

बुवाई का समय
खासकर उत्तर भारत में दिसम्बर एवं जनवरी महीनों को छोड़ कर सालों भर  बेबी कॉर्न की बुवाई की जा सकती है | उत्तरी भारत में मार्च से मई माह तक बेबी कॉर्न की माँग अधिक होती है | इसके लिए जनवरी माह  के अंतिम सप्ताह में बुवाई करना उपयुक्त होता है | दक्षिणी भारत में इसे सालों भर  उगाया जा सकता है |  अतः बाजार में बेबी कॉर्न की माँग के समय को ध्यान में रखते हुए बुवाई की जाए तो अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है |

बुवाई की विधि
बुवाई मेंड़ के दक्षिणी भाग में की जानी चाहिए | सीधे रहने वाले पौधे के लिए मेंड़ एवं पौधा से पौधा की दूरी 60 से॰ मी॰X 15 से॰ मी॰  तथा फैलने वाले पौधे के लिए 60 से॰ मी॰X 20 से॰ मी॰  दूरी रखना चाहिए |

बीज दर
किस्म/ प्रजाति के टेस्ट वेट के अनुसार लगभग 10 कि॰ ग्रा॰ प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करना चाहिए

बीज उपचार
बुवाई से पहले प्रति कि॰ ग्रा॰ बीज मे एक ग्रा॰ बावीस्टीन तथा एक ग्रा॰ कैप्टन मिला देना चाहिए | रसायन उपचारित बीज को छाया में सुखाना चाहिए | इस तरह मक्का के फसल को टी॰एल॰ बी॰, एम॰ एल॰ बी॰, बी॰ एल॰ एस॰ बी॰ आदि बीमारियों से बचाया जा सकता है | तना भेदक (शूट फ्लाई) से बचाव के लिए फिप्रोनिल 4-6 मि॰ ली॰/ कि॰ ग्रा॰ बीज में मिलाना चाहिए

बेबी कॉर्न में उर्वरक प्रबंधन
मृदा परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का प्रयोग बेहतर होता है | समान्यतः 60-72:24:24:10 कि॰ ग्रा॰/एकड़ के अनुपात में एन॰ पी॰ के॰ तथा जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए | इसके अलावा अच्छी उपज के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद (एफ॰ वाई॰ एम॰) 8-10 टन/हे॰ का भी प्रयोग करना चाहिए | सम्पूर्ण फास्फोरस, पोटाश, जिंक एवं 10% नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए| नाइट्रोजन की शेष मात्रा को चार बार (टुकड़ो में अर्थात, 4 पत्तियों की अवस्था में 20%,  8 पत्तियों की अवस्था में 30%,  नर मंजरी को तोड़ने से पहले 25% तथा  नर मंजरी को तोड़ने के बाद 15%) प्रयोग करने से पूरे फसल के दौरान कम से कम नुकसान के साथ-साथ इसकी उपलब्धता बनाए रखने में सहूलियत होती है |

खरपतवार नियंत्रण
बुवाई के तीन दिन के अंदर 15 किग्रा. स्टाजीन 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करने से (स्लेट पेन नाजिल ) चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नहीं उगते |

नरमंजरी की तोड़ाई
ऐसे ही पौधों में नरमंजरी निकलना प्रारंभ हो उसे उसके आधार से तोड़कर अलग कर देने से बेबी कॉर्न की गुणवत्ता ने सुधार होता है तथा भुट्टे भी अधिक मात्र में निकलते है|

 शिशु भुट्टों की तुडाई
भुट्टों में सिल्क निकलने के 24 घंटों के अंदर बेबी कॉर्न तोड़ लेना चाहिए | विलम्ब से तुडाई करने पर गुणवत्ता में कमी आती है | 15 दिन के अंदर 2-3 तुड़ाईयां की जा सकती है |
1 बेबी कॉर्न की भुट्टा  (गुल्ली) को 1-3 से॰ मी॰ सिल्क आने पर तोड़ लेनी चाहिए |
2 भुट्टा तोड़ते समय उसके ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए |  पत्तियों को हटाने से ये जल्दी  खराब हो जाती है |
3 खरीफ़ में प्रतिदिन एवं रबी में एक दिन के अन्तराल पर सिल्क आने के 1-3 दिन के अन्दर भुट्टे की तुड़ाई कर लेनी चाहिए |
4 एकल क्रॉस संकर मक्का में 3-4 तुड़ाई जरूरी होता है |


 उपज
इसका अतिरिक्त 200-250 कुंतल हरा चना भी प्राप्त होता है | बेबी कॉर्न की उपज इसके क़िस्मों की क्षमता एवं मौसम पर निर्भर करती है | एक ऋतु में 6-8 क्विंटल/एकड़ बेबी कॉर्न (बिना छिलका) की उपज ली जा सकती है | इससे 80-160 क्विंटल/एकड़ हरा चारा भी मिल जाता है | इसके अलावा कई अन्य पौष्टिक पौध उत्पाद जैसे- नरमंजरी, रेशा, छिलका, तुड़ाई के बाद बचा हुआ पौधा आदि प्राप्त होता है जिन्हें पशुओं को हरा चारा के रूप में खिलाया जा सकता है | 15-20 कुंतल / हे. बेबी कॉर्न प्राप्त हो जाता है |

 बेबी कॉर्न का भण्डारण एवं संवहन
उड़ाई के तुरंत बाद भुट्टों की ग्रेडिंग उनके आकार के आधार पर करने के लिए भुट्टों को ढकने वाली पत्तियों को हटाकर कर लेनी चाहिए तथा पॉलिथीन बैग में उन्हें बंद करके विपरण हेतु भेज देना चाहिए |बर्फ के टुकड़ों के बीच रखकर उन्हें 5 दिन तक रखा जा सकता है |
बीजदर: 15 किग्रा. प्रति हेक्टेअर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी. पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी.

 बेबी कॉर्न का प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग)
1 नजदीक के बाजार में बेबी कॉर्न (छिलका उतरा हुआ) को बेचने के लिये छोटे–छोटे पोलिबैग में पैकिंग किया जा सकता है | इसे अधिक समय तक संरक्षित रखने के लिये  काँच(शीशा) की पैकिंग सबसे अच्छी होती है |
2 काँच के पैकिंग में 52% बेबी कॉर्न  और 48% नमक का घोल होता है | बेबी कॉर्न को डिब्बा में बंद करके दूर के बाजार या अन्तराष्ट्रीय बाज़ारों में बेचा जा सकता है | कैनिंग (डिब्बाबंदी) की विधि निम्न फ्लो डाईग्राम में प्रदर्शित है
3 छिलका उतरा हुआ बेबी कॉर्न  सफाई करना ,उबालना, सुखाना  ,ग्रेडिंग करना ,डिब्बा में डालना ,नमक का घोल डालना  ,वायुरुद्ध करना  ,डिब्बा बंद करना  ,ठंडा करना गुणवत्ता की जाँच करना

बेबी कॉर्न का प्रिजर्वेशन
बेबी कॉर्न को डिब्बा में डालने के बाद 2% नमक और 98% पानी का घोल बनाकर या 3% नमक, 2% चीनी, 0.3% साइट्रिक एसिड और शेष पानी का घोल बनाकर डिब्बा में डाल देना चाहिए |

बेबी कॉर्न से आर्थिक लाभ
एक एकड़ बेबी कॉर्न को पैदा करने में लगभग 8,000-10,000 रु॰ खर्च आता है | हरे चारे को मिलाकर कुल आमदनी लगभग 38,000-40,000 रु॰ / एकड़ होता है । अतः किसान भाइयों को बेबी कॉर्न के उत्पादन से शुद्ध आमदनी लगभग 30,000 रु॰ / एकड़ होता है |
एक साल में 3-4 बेबी कॉर्न की फसल ली जा सकती है | इस प्रकार एक वर्ष में एक एकड़ से लगभग 90,000 रु॰ शुद्ध आमदनी प्राप्त की जा सकती है | अतिरिक्त लाभ लेने के लिये बेबी कॉर्न के साथ अन्तः फसल ली जा सकती है |

For More Details Call Me

www.smstree.org

Mr Niraj Kumar

+91 8252281522


No comments:

Post a Comment