Tuesday 7 May 2019

हिमालय शिग्रु( सहजन ) सहजन की खेती
हिमालय शिग्रु( सहजन )
सहजन बिहार के किसानों के लिए एक बहुवर्षिक सब्जी देनेवाला जाना-पहचाना पौधा है। गाँव देहात में सहजन बिना किसी विशेष देखभाल के किसान अपने घरों के आसपास दो-एक पेड़ लगाकर रखते हैं, जिसके फल का उपयोग वे साल में एक बार जाड़े के दिनों में सब्जी के रूप में करते हैं।
सहजन भारतीय मूल का मोरिन्गासाए परिवार का सदस्य है। इसका वनस्पतिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा है। सामान्यतया यह एक बहुवर्षिक, कमजोर तना और छोटी-छोटी पत्तियों वाला लगभग दस मीटर से भी उंचा पौधा है। यह कमजोर जमीन पर भी बिना सिंचाई के सालों भर हरा-भरा और तेजी से बढने वाला पौधा है। हाल के दिनों में सहजन का साल में दो बार फलने वाला वार्षिक प्रभेद तैयार किया गया है, जो न सिर्फ उत्पादन ज्यादा देता है बल्कि यह प्रोटीन, लवण, लोहा, विटामिन-बी, और विटामिन-सी. से भरपूर है। बिहार के किसानों और खासकर अपनी भू-भागीय पसंद के कारण सहजन दियारा क्षेत्र के किसानों के लिए उनकी फसल प्रणाली का एक आर्थिक महत्व का उपयुक्त फसल हो सकता है।

मिट्टी और जलवायु
सभी प्रकार की मिट्टियों में सहजन की खेती की जा सकती है। यहाँ तक कि बेकार, बंजर और कम उर्वरा भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है, परन्तु व्यवसायिक खेती के लिए साल में दो बार फलनेवाला सहजन के प्रभेदों के लिए 6-7.5 पी.एच. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी बेहतर पाया गया है। यह समुद्र तटीय क्षेत्रों सहित खराब मिट्टी और कम गुणवत्ता वाली मिट्टी को भी सहन कर लेती है। गर्म और आर्द्र जलवायु फूल के लिए विकास और शुष्क जलवायु के लिए उपयुक्त है। 25 डिग्री से 30 सेल्सियस के तापमान सहजन में फूल के लिए उपयुक्त है।

खेत की तैयारी
सहजन के पौध की रोपनी में गड्ढा बनाकर किया जाता है। खेत को अच्छी तरह खरपतवार से साफ़-सफाई का 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. आकार का गड्ढा बनाते हैं। गड्ढे के उपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ा हुआ गोबर का खाद मिलाकर गड्ढे को भर देते हैं। इससे खेत पौध के रोपनी हेतु तैयार हो जाता है।

प्रबर्द्धन
सहजन में बीज और शाखा के टुकड़ों दोनों से ही प्रबर्द्धन होता है। अच्छी फलन और साल में दो बार फलन के लिए बीज से प्रबर्द्धन करना अच्छा है। एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त है। बीज को सीधे तैयार गड्ढों में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार कर गड्ढों में लगाया जा सकता है। पॉलीथीन बैग में पौध एक महीना में लगाने योग्य तैयार हो जाता है।

खाद और उर्वरक
सिंचित क्षेत्रों में 26 फार्म यार्ड Manuare किलो और उर्वरक की 250 ग्राम अप्रैल में दिया जाता है सितंबर और दिसंबर में उर्वरक की खुराक के द्वारा पीछा किया, जबकि वर्षा आधारित क्षेत्रों में उर्वरक खुराक की 200 ग्राम सितंबर और दिसंबर में दी गई है। उर्वरक खुराक फसल की आवश्यकता के अनुसार प्रति वर्ष 500 ग्राम की दर से वृद्धि हो सकती है।

इंटर फसल:
इंटर फसल के निम्नलिखित प्रकार अपनाया जा सकता है: - सहजन -i- सीताफल या Aonia + घृतकुमारी या पपीता + सीताफल या बेर + शरीफा

सिंचाई:
काली कपास भारी मिट्टी में 15-20 दिनों के अंतराल बनाए रखा जा सकता है, जबकि प्रकाश मिट्टी में, सिंचाई, 10-12 दिनों के अंतराल पर दी जा सकती है। पत्ते गिर जाते हैं क्योंकि सिंचाई फ़रवरी महीने के बाद बंद कर दिया जाना चाहिए और संयंत्र मई माह तक आराम की आवश्यकता है। सिंचाई फ़रवरी-मई के दौरान दिया जाता है, तो यह कम उत्पादन हो सकता है। सिंचित क्षेत्रों में सिंचाई नवंबर-दिसंबर के महीनों के दौरान अधिक फूल के लिए संयंत्र के लिए तनाव देने के लिए 1 अक्टूबर-20 अक्तूबर से रोका जाना चाहिए। फली के गठन तक फूल के बाद, सिंचाई के बारे में 10-20 दिन के अंतराल के लिए आवश्यक है।

कीट और रोगों:
बरसात के मौसम में होने वाली 1. पत्ती खाने कमला और बालों कमला पत्ते नष्ट कर देता है। एंडोसल्फान या मोनोक्रोटोफॉस छिड़काव कीट नियंत्रण कर सकते हैं।

2. Jassides और कण: इस कीट पदार्थ की तरह पौधों का रस और शहद विज्ञप्ति बेकार है। पानी की 200 मिलीलीटर Nivacrorin 100 लीटर छिड़काव कीट नियंत्रण कर सकते हैं।

3. बार्क खाने कमला: यह लुगदी। यह लोहे की छड़ या राल या पकड़ में पेट्रोल में भिगो कपास की गेंद के अलावा जोड़कर यांत्रिक विधि द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। छिड़काव सुबह या शाम के समय में किया जा सकता है।

सहजन की खेती के महत्वपूर्ण पहलुओं:
Drumsticks का एकमात्र फसल के रूप में 10 एकड़ पर खेती कर रहे हैं, यह शहद उद्देश्य के लिए मधुमक्खियों को पालने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 60-100 किलो शहद की एक उपज 0.4 हा (1 एकड़) हर से प्राप्त किया जाता है
मौसम। इसके अलावा, मधुमक्खियों परागण की दर में वृद्धि और परोक्ष रूप से 25 से 30% तक सहजन की उपज में वृद्धि।

फल की तुड़ाई एवं उपज
साल में दो बार फल देनेवाले सहजन की किस्मों की तुड़ाई सामान्यतया फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में होती है। प्रत्येक पौधे से लगभग 200-400 (40-50 किलोग्राम) सहजन सालभर में प्राप्त हो जाता है। सहजन की तुड़ाई बाजार और मात्रा के अनुसार 1-2 माह तक चलता है। सहजन के फल में रेशा आने से पहले ही तुड़ाई करने से बाजार में मांग बनी रहती है और इससे लाभ भी ज्यादा मिलता है।

सहजन का गुण एवं उपयोग
सहजन बहुउपयोगी पौधा है। पौधे के सभी भागों का प्रयोग भोजन, दवा औद्योगिक कार्यो आदि में किया जाता है। सहजन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व व विटामिन है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में चार गुणा पोटाशियम तथा संतरा की तुलना में सात गुणा विटामिन सी. है।

सहजन का फूल, फल और पत्तियों का भोजन के रूप में व्यवहार होता है। सहजन का छाल, पत्ती, बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवा तैयार किया जाता है, जो लगभग 300 प्रकार के बीमारियों के इलाज में काम आता है। सहजन के पौधा से गूदा निकालकर कपड़ा और कागज उद्योग के काम में व्यवहार किया जाता है।

भारत वर्ष में कई आयुर्वेदिक कम्पनी मुख्यत: “संजीवन हर्बल” व्यवसायिक रूप से सहजन से दवा बनाकर (पाउडर, कैप्सूल, तेल बीज आदि) विदेशों में निर्यात कर रहे हैं।

दियारा क्षेत्र में सहजन के नये प्रभेदों की खेती को बढ़ावा देकर न सिर्फ स्थानीय व दूर-दराज के बाजारों में सब्जी के रूप में इसका सालों भर बिक्री कर आमदनी कमाया जा सकता है, बल्कि इसके औषधीय व औद्योगिक गुणों पर ध्यान रखते हुए किसानों के बीच में एक स्थाई दीर्घकालीन आमदनी हेतु सोच विकसित किया जा सकता है।

सहजन बिना किसी विशेष देखभाल एवं शून्य लागत पर आमदनी देनी वाली फसल है। किसान भाई अपने घरों के आस-पास अनुपयोगी जमीन पर सहजन के कुछ पौधे लगाकर जहां उन्हें घर के खाने के लिए सब्जी उपलब्ध हो सकेंगी वहीं इसे बेचकर आर्थिक सम्पन्नता भी हासिल कर सकते हैं।

For More Details Call Me

www.smstree.org

Mr Niraj Kumar

+91 8252281522

No comments:

Post a Comment