Tuesday 7 May 2019

लॉन्ग की खेती
लौंग (वानस्पतिक नाम  Syzygium aromaticum(Cloves)मटेंसी कुल (Myrtaceae) के 'यूजीनिया कैरियोफ़ाइलेटा' (Eugenia caryophyllata) नामक मध्यम कद वाले सदाबहार वृक्ष की सूखी हुई पुष्प कलिका है। लौंग का प्रयोग पुराने समय से ही भारत  में मसालों के रूप में किया जाता रहा है इसका भारतीय खाने में एक विशेष स्थान है | इसमें औषधिय तत्वों भी पाए जाते है | लौंग की तासीर बहुत गर्म होती है इसलिए इसका उपयोग सर्दी के मौसम में अधिक किया जाता है | लौंग नम कटिबंधों के एक सदाबहार पेड़ है।लौंग तटीय रेतीले इलाके में छोड़कर देश के सभी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। लेकिन केरल के लाल मिट्टी और पश्चिमी घाट के पर्वतीय इलाकों इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
मिट्टी आवश्यकताएँ
रिच, नम कटिबंधों के बलुई मिट्टी लौंग पेड़ों की व्यावसायिक खेती के लिए आदर्श मिट्टी हैं।

 रोपण करने का तरीका
लौंग के रोपण के लिए आदर्श समय दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत (जून-जुलाई) में है। लौंग के पौध का रोपण मानसून के आने के समय पर किया जाता है | इसके पौध का रोपण जून या जुलाई के महीने में करना उचित रहेगा | इसके पौध को रोपने के लिए 75 सेंटीमीटर लम्बा , 75 सेंटीमीटर चौड़ा और 75 सेंटीमीटर गहरा एक गड्डा खोद लें | एक गड्डे से दुसरे गड्डे के बीच की दुरी लगभग 6 से 7 सेंटीमीटर की होनी चाहिए | इन गड्डे में खाद , हरी पत्तियां , और पशु खाद से भर दें | इन सभी खादों को मिटटी की एक परत से ढक दिया जाता है | लौंग की फसल के लिए उचित मात्रा में छाया की जरूरत होती है जो की मानसून के मौसम में उपलब्ध होती है |

उर्वरक अनुसूची
असर पेड़ / वर्ष के लिए 50kg खाद या कम्पोस्ट और हड्डी भोजन या मछली खाने को लागू करें। खाइयों पेड़ के चारों ओर खोदा में जैविक खाद बरसात के मौसम की शुरुआत में एक खुराक के रूप में लागू किया जा सकता है। 20 ग्राम एन (430g यूरिया), 18g P2O5 (110g अधिभास्वीय), और 50 ग्राम K2O (पोटाश की मुरिएट की 80g) @ अकार्बनिक उर्वरकों के आवेदन / वर्ष की सिफारिश की है। खुराक 300g एन (600g यूरिया), 250 ग्राम P2O5 (1,560g अधिभास्वीय) और (पोटाश की मुरिएट 1,250g) 750g K2O 15 साल या उससे अधिक की एक सयाना पेड़ के लिए / वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। उर्वरकों के बारे में सामान्य 1-1½m दूर आधार से संयंत्र के आसपास खोदा उथले खाइयों में मई-जून और सितंबर-अक्टूबर में 2 बराबर विभाजित खुराकों में लागू किया जाना चाहिए। संयंत्र बेसिन हमेशा के लिए मुक्त खरपतवार रखा है और mulched जाना चाहिए।

सिंचाई
 लौंग की फसल में पहले 3 – 4 साल सिंचाई की जरूरत होती है | इस समय में लौंग की फसल में लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे भूमि में नमी बनी रहे | गर्मी के मौसम में मिटटी में नमी को बनाये रखने के लिए सिंचाई करनी आवश्यक है |

फसल तैयार होने के बाद कटाई
लौंग के पेड़ में चौथे साल में फल आने शुरू हो जाते है | इसकी फसल से हमे 15 साल तक फल मिलते है | देश के मैदानी भाग में सितम्बर – अक्तूबर या दिसंबर – जनवरी के महीने में मौसम के अनुसार फूल निकलते है | इन फूल का रंग शुरू में गुलाबी होता है | जब इसकी कलियों को काटा जाता है तो उस समय फल २ सेंटीमीटर से लम्बे नही होते | इसके फसल को कटाने के लिए सीढियों का उपयोग करना चाहिए | ताकि फसल की शाखाओं को किसी तरह का नुकसान न पंहुचे |

लौंग का प्रबंधन
 लौंग के फूल कलियों को हाथ से अलग कर दिया जाता है | इसके बाद इन्हें सुखाने के लिए यार्ड में फैला दिया जाता है | जब कली के भाग काले भूरे रंग का हो जाये तो तो उस समय उन्हें इक्कठा कर लें | सुखाने के बाद लौंग का वजन थोडा कम हो जाता है | लौंग की बाजार में कीमत अधिक है | इसी कारण से यह मंहगा बिकता है | इसकी खेती करने से हमे अधिक से अधिक मुनाफा मिलता है | 

उपयोग
लौंग को पीसकर, या साबुत खाद्य पदार्थ में डालने से, वह सुगंधमय हो जाता है, अत: भिन्न भिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को सुवासित करने के लिए इसका उपयोग मसाले की तरह करते हैं। दाँत का मंजन, साबुन, इत्र वेनिला तथा पौधों की आंतरिक रचना देखने के लिए एवं दवा के रूप में इस तेल का उपयोग होता है। लौंग के फल एवं फूल के डंठल का भी कभी कभी उपयोग किया जाता है।

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